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Saturday 17 October 2020

corona

 


 ट्रंप का दौरा अच्छे से टी0वी0 पर देखा हैं, उस समय डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था भारत में कोरोना से तो कोई  संक्रमित नही हुआ हैं। क्योकि चीन भारत का पडोसी देष हैं। उस समय मैंने कोरोना को सुना और उसके बारे में सोचा कि यह वायरस इण्डिया में फैल सकता हैं। मगर ऐसा नही की पहली बार मैंने कोरोना को सुना था। इससे पहले भी मैंने कोरोना के बारे में सुना था। कि ऐसा कोई वायरस चीन में फैल रहा हैं। मगर मैंने ये नही सोचा था कि ये इतनी तेजी से पूरी दुनिया में फैल जायेगा। मैने इसका विचार किया और लोगो के भी बाते करते सुना कि अगर यह वाइरस भारत में फैल गया तो बहुत खतरनाक होगा। क्योकि यह वाइरस संक्रमित व्यक्ति से बात करते ही आप के षरीर में आ जाता हैं।


ऐसा अंग्रेजी फिल्मो में होता हैं। कि जैसे कोई जोंम्बी एक आदमी को काटता हैं तो उस व्यक्ति को भी संक्रमण हो जाता हैं। और वो दूसरे को काटता हैं तो उसको भी हो जाता हैं और लोग षहर में निकलते नही हैं अपने घरो में छुप जाते हैं। और जांम्बी का गु्रप उनको ढूंढता रहता हैं। यह वाइरस इतना खतरनाक नही हैं, मगर वायरस कुछ कुछ वैसा ही हैं। एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे व्यक्ति में यह फैलता हैं। और फिर एक श्रंखला बन जाती हैं। भारत में जनसंख्या बहुत अधिक हैं। और ये इस वायरस के चलते बहुत चिंता जनक बात हैं। मगर कम आबादी वाले देष भी इस वायरस से जूझ रहे हैं। अमेरिका में भारी तबाही मची हैं, और न जाने कितना यह वायरस दुनिया भर में अभी मचायेंगा। या जब तक इसकी कोई वैक्सीन नही आ जाती हैं।



भारत जैसे देष में लॉकडाउन लग गया । लोगो को घरो में कैद होकर रहना पडा। और लगभग सब कुछ बंद हो गया । पूरा देष ठप्प हो गया । यातायात के साधन बंद हो गये। लोग बेरोजगार हो गये हैं। उघोग धन्धे बंद हो गये हैं। स्कूल, कालेज, मालॅ, दुकाने सब बंद हो गया । लोग 1000 किलोमीटर की यात्रा पैदल करने को मजबूर हो गये हैं। गरीब लोगो के लिए तो बहुत मुष्किल हालात हो गये खाने पीने के लाले पड गये। बाहर जाये तो मरे और घर में रहे तो भूख से लोग मरे। क्या कभी सोचा था 21 वीं सदी में लोग 1000-1500  किलोमीटर पैदल चल कर जायेंगे। सुपर पावर अमेरिका तक घुटने के बल पर आ गया। इस वायरस के कारण दुनिया भर में कई लाख लोग मर गये हैं। अच्छा खासा आदमी इसके संक्रमण में आकर कुछ दिनो में ही मर जाता हैं। जो कभी नही देखा था वो देखने को मिल रहा हैं।


मगर कुछ अच्छा भी हुआ हैं वातावरण स्वच्छ हो गया हैं। हवा साफ हो गयी है,ं गंगा निर्मल हो गयी हैं। जीव जन्तु रिहाषी इलाके में घूम रहे हैं। जबकि मानव घरो में कैद हैं। क्या प्रक्रति मानवो को सजा दे रही हैं। मानवो ने उघोग धन्धे बढाने के चक्कर में प्रक्रति को बहुत नुकसान पहुचाया हैं। जीव जन्तुओ से उनके घर जंगल छीन लिये थे। आज वे अपनी जगह मांग रहे हैं। जीव जन्तुओ में सर्वोत्तम मानव वायरस से डर कर छुप गया हैं। जो आकाष और पाताल पर अपना कब्जा जमा रहा था। और छोटे मोटे जीव जन्तु सडको पर घूम रहे हैं। अजीब वायरस हैं और अजीब लॉकडाउन हैं। 


लोगो को ना सुबह उठने की जल्दी हैं और ना रात को जल्दी सोने का चक्कर हैं । आराम से रात में सोते हैं और सुबह उठते हैं और फिर सो जाते हैं। क्योकि भाईसाहब सब लॉक होकर डाउन हैं। और घरो में औरते भी खाने पीने की नयी डिषे बना रही हैं। जोकि अभी तक हलवाई की दुकान से ही खायी जाती थी, अब वो घरो में मिल रही हैं। कुछ आराम जनक तो लगता हैं। मगर फिर जब भविष्य की गुणा भाग लगाते हैं। तो भविष्य अंधकारमय लगता हैं। यह वायरस अभी कुछ भी गुणा भाग नही लगाने दे रहा हैं। यहां तक की पीने वालो को घर घर नही नषा मुकित केन्द्र लगने लग रहे थे। मगर उनकी समस्या तो सरकार ने कम कर दी हैं, और अपना राजस्व भी बढा लिया हैं। हमारे यहां एक बडी आबादी रोज कमाने खाने वाले की हैं। सरकार कब तक बन्दोबस्त कर पायेंगी। इसके अलावा मध्यम वर्गीय परिवार भविष्य को लेकर चिंतित हैं। सभी सुविधाओ से लैस अमेरिका भी लाचार हैं। हम तो फिर भी 135 करोड की जनसंख्या वाले हैं। हम कैसे कोरोनाकाल में गुजर बसर करेंगे।श्


चौथा लाकॅडाउन भी लगभग खत्म होने जा रहा हैं। पहले और दूसरे लॉकडाउन में लोगो में बहुत जोष था। लोगभाग पूरी तरह से चौकस रहे हैं। जरूरी काम छोड दे तो लोगो ने गंभीरता से लाकॅडाउन को लिया हैं। मगर बाद के लाकॅडाउन में लोग ढीले पड गये हैं।  हिम्मत हार रहे हैं, और षिथिल पड गये हैं। अब लोगो और सरकार से बाहर ये कोरोना वाइरस होता जा रहा हैं। रोजाना 5000 से ज्यादा केस आ रहे हैं। कब तक घरो में कैद रहेंगे, आगे क्या करेंगे, तरह तरह के सवाल मन में उठ रहे हैं। इसलिए दूसरा लॉकडाउन खत्म होते ही मजदूरो ने लाचार होकर पैदल ही अपने राज्यो की ओर कूच किया हैं। कई विडियो तो बहुत मार्मिक वायरल हो रही हैं। लाखो लोग अपने गांव में लौट आये हैं। लोग अपनी नौकरी और काम धन्धो के बारे में सोच रहे हैं। और सरकार ने आखिर में सब कुछ गाइडलाइन के अनुसार खोलने को कहा हैं। सरकार को वित्तीय घाटा हो रहा हैं । अगर जब तक वैक्सीन नही आ जाती हैं और तब तक ऐसे ही चलता रहा तो सरकार भी लाचार हो जायेगी।


सरकार तो आत्म निर्भरता की बात कर रही हैं। आत्म निर्भर होना बहुत जरूरी हैं, बडे से लेकर छोटे लोगो को आत्म निर्भर होना होगा। कब तक चीन  और दूसरे देषो पर निर्भर रहेंगे। हमारे देष के उघोगीयो को भी और मंझोले कारोबारियो को भी भारत निर्मित चीजे बनानी चाहिये। जिससे हमारे देष के लोगो को रोजगार मिले, और वाइरस के वार से भी हम लोग बचे रहे। सरकार को उघोगो के लिए सहायता करनी चाहिए। किसानो के लिए भी स्कीम बननी चाहिए कि वो कैसे फसल को बोये और कितनी मात्रा में बोये। ताकि हमे बाहर से कुछ मंगाना न पडे और जरूरत का सामान यही से मिल जाये, किसानो को भी उनकी फसल का सही दाम मिल जाये। और फसल बर्बाद न हो। क्योकि भारत का किसान खुष होगा तो देष भी खुष रहेगा। मजदूरो को लिए उनके राज्य में ही मनरेगा जैसी योजनाए चलानी चाहिए। उत्तर प्रदेष में तो मजदूरो के लिए योजनाए षुरू हो गयी हैं। जो कि काबिले तारीफ हैं।


कई षब्द तो इस कोरोनाकाल में सुनने को मिले हैं। जैसे क्वांरटीन, आइसोलेट, लॉकडाउन, सेनेटाइजेषन और सोषल डिषटेंसिंग, इम्यूनिटी आदि। हम कम पढे लिखे लोग भी अच्छे से इनके उदाहरण सहित अर्थ समझ गये हैं। मगर ये षब्द इस कोरोना को हराने के लिए बहुत कारगर हैं। सभी को अच्छे से सही जगह इस्तेमाल किया जाना चाहिए। मतलब भीड भाड वाली जगह जाये तो सोषल डिषटेंषिग का पालन करे । घर वापस आकर सेनेटाइजर का इस्तेमाल करे। अगर लक्ष्ण दिखे तो खुद को आइसोलेट करे और सरकार को बताये ताकि आपको क्वांरटीन किया जा सके। बुर्जुग लोगो और बच्चो को घर पर ही रखे। इम्यूनिटी बढाने के लिए थोडा थोडा खाना बार बार खाये और खुष रहे। थोडा योगा या व्यायाम को दैनिक दिनचर्या में षामिल कर ले। क्यो है न ये सभी नये हथियार।


 


                                    विषाल सिंह 


                                मुजफफरनगर                             


      


 


 

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