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Thursday 31 December 2015

यूपी में होंगी एक लाख से ज्यादा शिक्षक भर्ती

बेसिक शिक्षामंत्री अहमद हसन ने हर प्राइमरी स्कूल में पांच शिक्षकों की तैनाती का फैसला किया है। उनका मानना है कि हर प्राइमरी स्कूल में कम से कम पांच शिक्षक तैनात किए जाने चाहिए ताकि कोई भी क्लास खाली नहीं रहे।

हर क्लास में एक शिक्षक जरूर रहे। सरकारी स्कूलों में बच्चों की लगातार कम हो रही संख्या को देखते हुए उन्होंने यह फैसला किया। इस समय प्रदेश में 1 लाख 12 हजार 747 प्राइमरी स्कूल हैं।


हर स्कूल में पांच शिक्षकों की तैनाती के लिए 5 लाख 63 हजार 735 शिक्षकों की जरूरत होगी। यहां बता दें कि अभी कई स्कूलों में एक-दो शिक्षक भी तैनात हैंवहीं, 1.70 हजार शिक्षामित्रों समेत सभी निकाली गई रिक्तियों पर भर्ती होने के बाद प्रदेश में शिक्षकों की कुल संख्या करीब 4 लाख 48 हजार 873 होगी।

यानी 1 लाख 14 हजार 862 शिक्षकों की और जरूरत होगी। बेसिक शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने केअनुरोध के साथ बताया कि पिछली भर्तियां ही विवादों में फंस गई हैं। ऐसे में सपा सरकार के इस कार्यकाल में एक लाख से ज्यादा नए शिक्षकों की भर्ती आसान नहीं होगी।

वहीं, इस बारे में बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन ने कहा कि प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए पांच शिक्षकों की तैनाती जरूरी है। इसके लिए विभागीय अधिकारियों से बातचीत के बाद उचित निर्णय किया जाएगा।

नए साल पर मोदी ने दिया दिल्ली-एनसीआर को 'एक्सप्रेसवे' का तोहफा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रीय राजमार्ग 24 के चौड़ीकरण का उद्घाटन करने के लिए आज नोएडा का दौरा पहुंचे। उन्होंने दिल्ली-डासना-मेरठ एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, वीके सिंह और महेश शर्मा भी प्रधानमंत्री के साथ मौजूद थे।इस मौके पर मोदी ने नोएडा में जनसभा को भी संबोधित किया। मोदी ने कहा कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मेरठ को याद किया जाता है। मेरठ ने गुलामी से मुक्ति का मार्ग दिखाया था। आज दिल्ली से मेरठ का ये हाईवे प्रदूषण से मुक्ति का मार्ग दिखा रहा है। बदलते वक्त में रफ्तार रूकने वाली नही है।

रप्तार की गति भी रूकने वाली नही है, रफ्तार तेज होने वाली है तो इन्फ्रास्टक्चर उसी रफ्तार के अनुकूल बनाना भी आवश्यक हो जाता है। 20-30 साल पहले आज से गांव में किसी किसान से बात होती थी। वो कहते थे साहब, इस बार अगर सूखे का कोई काम निकलता है तो हमारी तरफ कोई काम करवाइये। 20-30 साल पहले हमारे देश के गांव का व्यक्ति सिर्फ 2 गांव के बीच मिट्टी का काम करवाने की अपील करता था। आज गांव का व्यक्ति भी आता है तो कहता है पक्की सड़क नही पैबर रोड लगाइये। सिंगल लाइन से भी संतोष नहीं,  डबल-फोर लेन चाहिए। गांव का किसान भी इस बात को भली भांति समझता है विकास की यात्रा से जुड़ना है तो सबसे पहले गांव को अच्छी सड़क से जोड़ना है।
अटली जी ने दो बातों की शुरू आत की थी। इन्फ्रास्टकचर की दुनिया में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए। पहला, भारत को वैश्विक स्तर पर दुनिया के मुकाबले में लाकर खड़ा करने के लिए योजना। दूसरा, हिंदुस्तान के गांव के जीवन में बदलाव लाने के लिए कनेक्टिविटी देने के लिए योजना का आरंभ। दोनों योजनाएं स्वर्णिम चतुर्भुज एक्सप्रेस हाईवे पूरब से पश्चिम उत्तर से दक्षिण, हिंदुस्तान को एक ताकत वाला देश बनाने वाला अभियान चलाया।
आज गर्व से हिंदुस्तानी कह सकता है, वाजपेयी की योजना के कारण हिंदुस्तान की पहचान दुनिया के समृद्ध देशों की बराबरी में लाकर रख दिया। वाजपेयी जी हिंदुस्तान की गांव की भी चिंता करना चाहते थे। दूसरी बड़ी योजना पीएम ग्राम सड़क योजना। उस योजना से हिंदुस्तान के उन गांवों को पक्की सड़क से जोड़ा जाए ताकि विश्व की बराबरी करने की क्षमता पाए। इन्फ्रा की दुनिया में वाजपेयी ने दो अहम बातें रखीं। बीच में 10 साल का अंतराल चला गया। क्या हुआ, क्या नही हुआ, इसकी चर्चा करने मैं नहीं आया।
लेकिन जो गति अटलजी ने दी थी उसे आगे बढ़ाना है। उस दिशा में बड़ा अभियान इस सरकार ने उठाया है। जब एक शहर को 100 किमी. के रेडियस में अन्य छोटे शहरों के साथ जोड़ा जाता है तो सिर्फ रास्ता नही बनता, उस 100 किमी. के रेडियस के सभी गांव उसी रफ्तार से आगे बढ़ते हैं। ये पूरा अभियान 100 किमी. रेडियस के क्षेत्र का विकास का कारण बनने वाला है। सेटेलाइट टाउनशिप बनने वाली है, मेरठ और दिल्ली तेज गति से जुड़ जाते हैं। मेरठ दिल्ली से भी तेज गति से आगे बढ़ जाता है। इसलिए ये सिर्फ रास्ता नहीं बन रहा है ये विकास का राजमार्ग बन रहा है।
इस क्षेत्र में वीकेंड टूरिज्म एक नया व्यवसाय बनेगा। आने वाले दिनो में रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ती हैं। अब करीब करीब 7500 करोड़ का प्रोजेक्ट बनेगा। कितने हजारों लोगों को काम मिलेगा। कोई चाय की दुकान तो कोई भोजन का ठेला। 7500 करोड़ में अधिकतम पैसा रोजगार में जाएगा। यूपी के लोगों को रोजगार मिलेगा। मशीन से ज्यादा पैसा मजदूरी में लगता है। रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। गांव के गरीब की खरीद शक्ति बढ़ती है तो हिंदुस्तान की अर्थव्यवसथा नई उंचाईयों को प्राप्त करती है। हमारी हर योजना आखिर में गरीब से गरीब व्यक्ति को रोजगार देती है।
आज 31 दिसंबर है 2015 का अखिरी दिवस। कल 1 जनवरी का प्रारंभ है। नव वर्ष की शुभकामनाएं। अदभुत सौगात देने जा रहे हैं। सरकार ने फैसला किया है जो कल लागू होगा तीसरे और चौथी श्रेणी में सरकारी नौकरी में इंटरव्यू लिए जाते हैं। इंटरव्यू का मतलब है सिफारिश। बड़े व्यक्ति का कुर्ता पकड़कर पहुंचकर, हकदार वंचित रह जाता है। कल 1 जनवरी से 3 और 4 श्रेणी में इंटरव्यू नहीं होगा। करप्शन के खिलाफ लड़ाई का ये अहम कदम है।
नौजवान को रोजगार में दिक्कतों से मुक्ति दिलाने का अभियान है। सभी राज्य सरकारों से आग्रह है कि भारत सरकार ने श्रेणी 3 और 4 के इंटरव्यू समाप्त किए हैं। आप भी ये परपंरा खत्म कीजिए। मेरिट के आधार पर नौकरी दीजिए। नोएडा वालों को याद नहीं रहता है कि वो उत्तर प्रदेश के नागरिक हैं। दिल्लीवाले समझते हैं वो भूल जाते हैं। मैं नही भूलता मैं यूपी का एमपी हूं। मै भी यूपी का हूं। इस प्रदेश ने जो मुझे प्यार दिया है वो प्यार नई उर्जा देता है। मैं सीएम से विशेष आग्रह आप भी इंटरव्यू की परंपरा खत्म कर दीजिए।
दिल्ली-मेरठ की दूरी 40-45 मिनट में : गडकरी
वहीं इससे पहले भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी हो रही है। पहला एक्सिस कंट्रोल एक्सप्रेस हाइवे की शुरूआत कुछ दिन पूर्व पीएम ने की है। आज खुशी की बात है। पीएम इस हाइवे के निर्माण की शुरूआत कर रहे हैं। ये सबसे हैवी ट्रैफिक का रोड है। दिल्ली में काम करने वाले लोग इस सड़क से लाखों की संख्या में आते है। आने और जाने में 2-2 घंटे का समय लगता है। निर्माण कार्य पूरे होने के बाद सुबह शाम के 2-2 घंटे बचने वाले हैं। ट्रैफिक सिग्नल हटाकर, दिल्ली मेरठ की दूरी 40-45 मिनट में तय होगी।
गडकरी ने कहा कि मुज्जफरनगर से देहरादून का निर्माण कार्य बंद पडा हुआ था। ये कार्य दिसंबर तक पूरा होगा। दिल्ली से देहरादून 2.5 से 3 घंटे में पूरा होगा। डासना से लखनऊ पर विचार चल रहा है। पीएम से अनुरोध किया है बंद्रीनाथ लाखों लोग जाते हैं। पीएम ने निर्देश दिया है 11 हजार करोड़ खर्च कर नए मार्ग का निर्माण कर रहे हैं। दिल्ली से आसानी से केदारनाथ बद्रीनाथ जा सकेंगे।

शिवपाल के मंच से गिरफ्तार हुए थे तोताराम

‘मैं कहां गिरफ्तार हुआ हूं, मैं तो यहां घूमने आया हूं।’ गिरफ्तारी के बाद थाना कोतवाली में ये बेबाक टिप्पणी थी पैकफेड चेयरमैन तोताराम यादव की। गिरफ्तारी और रिहाई के तीन घंटे तक चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद उनकी टिप्पणी सही भी साबित हुई और चिकित्सीय आधार पर उन्हें थाने से जमानत मिल गई।

सुदिति ग्लोबल एकेडमी के कार्यक्रम के दौरान जो सपा कार्यकर्ता उनके इर्द गिर्द नजर आ रहे थे, वह गिरफ्तार होते ही किनारा कर गए। थाने में भी कोई उनका हालचाल जानने नहीं पहुंचा। 

सभी को लग रहा था कि यह सब कुछ पार्टी हाईकमान के इशारे पर हो रहा है। जिस तरह से गिरफ्तारी हुई ये कयास अनायास भी नहीं थे। तीन माह पहले जिला पंचायत चुनाव में रायपुर गांव के बूथ पर कब्जे का वीडियो वायरल हुआ था। इसके बाद उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई थी। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह हाईकोर्ट भी गए। कोर्ट में पेश नहीं हो रहे थे। तोताराम खुले आम जिले में घूम रहे थे, सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल हो रहे थे, लेकिन पुलिस उन पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। 

बुधवार को गिरफ्तारी हुई भी तो ऐसे मौके पर जब वह कुछ देर पहले प्रदेश सरकार में कद्दावर मंत्री शिवपाल यादव और सांसद तेजप्रताप सिंह यादव के साथ मंच पर मौजूद थे। 

शिवपाल यादव और तेजप्रताप सिंह यादव जाते ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कोतवाली लाया गया। यहां उन्होंने मीडिया से कहा भी कि वह गिरफ्तार नहीं हुए है, बल्कि यहां सिर्फ घूमने आए है। अब चर्चा शुरू हो गई कि ये सब कुछ तो पहले से ही तय था।

Wednesday 30 December 2015

इलाहाबाद हाईकोर्ट नहीं है पर्याप्त, प्रदेश को नई बेंच की दरकार

लॉ कमिशन की 120 वीं  रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर 10 लाख की जनसंख्या पर कम से कम 50 जजों की न्युक्ति की शिफारिश की गई थी। लेकिन 20 करोड़ 42 लाख की जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश के पास केवल 160 जज ही मौजूद हैं, जिससे वर्षों से पड़े लंबित मामलों का निपटारा नही हो पा रहा है। वहीं ये एक तरह से लॉ कमिशन की रिपोर्ट का उल्लंघन भी है। लॉ कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में लगभग 225 जज होने चाहिए।

लेकिन एक हकीकत ये भी है कि अगर इतने सारे जजों की न्युक्ति कर भी ली गई तो शायद इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ बेंच में जजों के बैठने की पर्याप्त व्यवस्था न हो सके। हांलाकि पिछले काफी लंबे समय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए अलग हाईकोर्ट बेंच की मांग की जा रही है। अगर ऐसा होता है तो ये पश्चिमी यूपी के लोगों और जजों के लिए भी सहूलियत होगी। लेकिन पश्चिमी यूपी लगातार राजनीतिक भेदभाव का शिकार हो रही है।

जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधीन 160 जज होने के बावजूद केवल एक खंडपीठ की व्यवस्था लखनऊ में की गई है। जबकि महाराष्ट्र में 40 जजों के लिए तीन हाईकोर्ट की बेंच की व्यवस्था हैं। वहीं राजस्थान में 42 जजों के लिए हाईकोर्ट के साथ ही दो हाईकोर्ट की बेंच इंदौर और ग्वालियर में कार्यरत है। वहीं इस मामले में पूर्वोत्तर के राज्यो की हालत भी उत्तर प्रदेश से ठीक है। पुर्वोत्तर राज्यों के लिए असम राज्य के गुवाहाटी में हाईकोर्ट की व्यवस्था की गयी है, जबकि दो खंडपीठ अगरतला और शिलांग में हैं। वहीं बैंगलुरु हाईकोर्ट की तीन खंडपीठ हुबली, धारवाड और गुलबर्गा में है। 

20 करोड़ की आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के लिए मात्र एक खंडपीठ की व्यवस्था लखनऊ में की गई है। उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद हाईकोर्ट लंबित पड़े मामलों की भरमार है फिर प्रदेश की सरकार नई हाईकोर्ट बेंच बनाने की मांग को गैरजरूरी करार दे रही है। हाईकोर्ट में जजों की भारी कमी है। सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 5 हजार न्यायाधीशों की कमी है। हालात ये हैं कि देश में 1600 केस पर सिर्फ एक जज की न्युक्ति है। वहीं 20 लाख लोगों को 10 साल से न्याय नहीं मिला है। अदालतों में लंबित मामलों की यह सबसे बड़ी वजह है।

गौरतलब है कि 2009 में 18वें विधि आयोग की 230वीं रिपोर्ट में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए अलग खंडपीठ बनाने का जोर दिया गया था। इसके साथ ही वर्ष 1980 में जस्टिस जसवंत सिंह कमीशन की रिपोर्ट में भी क्षेत्र की जनसंख्या और दूरी को आधार बनाकर नई हाईकोर्ट बेंच की मांग को जायाज करार दिया गया था। वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट में 15 लाख मामले लंबित पड़े हैं। इन 15 लाख लंबित मामलों में अकेले पश्चिमी यूपी के 57 फीसदी मामले हैं। कई बार ये लंबित पड़े मामले इतने लंबे खिंच जाते हैं कि लोगों की पूरी उम्र गुजर जाती है। लेकिन लोगों को इंसाफ नहीं मिलता है।