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Wednesday, 16 December 2015

योगराज सिंह बसपा से निष्कासित........

मुजफ्फरनगर। जिले में एकाएक बदले राजनीतिक घटनाक्रम में आज पूर्व राज्यमंत्री चौ. योगराज सिंह को बसपा से निष्कासित कर दिया गया। उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाये जाने के आरोप लगाये गये हैं। पिछले दिनों बुढाना से टिकट कटने के कारण योगराज सिंह बसपा हाईकमान से नाराज चल रहे थे। योगराज सिंह कल (आज) लखनउ में राष्ट्रीय लोकदल में शामिल होंगे। बसपा जिलाध्यक्ष कमल गौतम ने आज देर सायं मीडिया को जारी एक संक्षिप्त पत्र में पूर्व मंत्री चौ. योगराज सिंह को बसपा से निष्कासित करने की कार्यवाही की जानकारी दी। कमल गौतम ने बताया कि उच्च निर्देशानुसार पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाये जाने के कारण योगराज सिंह को बहुजन समाज पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2007 में बसपा के टिकट पर बुढाना विधानसभा सीट से चौ. योगराज सिंह विधायक चुने गये थे। उन्हें बसपा सुप्रीमो कु. मायावती ने अपने मंत्रीमण्डल में राज्यमंत्री के रूप में शामिल कर लिया था, जिस कारण एकाएक चौ. योगराज सिंह का राजनीतिक रूतबा काफी बढ गया था। बुढाना से चुनाव लडे जाने से पूर्व तक वह अपने पिता चौ. जगबीर सिंह की राजनीतिक विरासत को आगे बढाने के प्रयासों में जुटे हुए थे। चौ. जगबीर सिंह की हत्या के बाद भी वह विभिन्न स्तर पर संघर्ष करते रहे। जुगाड चालकों व किसानों के मुद्दों को लेकर भी उन्होंने काफी धरने-प्रदर्शन किये। चौ. जगबीर सिंह की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति की लहर में चौ. योगराज सिंह बुढाना से बसपा के टिकट पर विधायक चुने गये थे। 2007 से 2012 तक उनका काफी रूतबा रहा, लेकिन 2012 के चुनाव में वह बसपा के टिकट पर बुढाना से चुनाव हार गये, जिसके बाद उनका राजनीतिक ग्राफ गिरता चला गया। पिछले दिनों बसपा ने बुढाना निवासी मौ. नईम मलिक को बुढाना विधानसभा का प्रभारी नियुक्त कर दिया और एक तरह से योगराज सिंह का टिकट काट दिया था, जिस कारण चौ. योगराज सिंह बसपा हाईकमान से काफी नाराज चल रहे थे। वह रालोद व भाजपा में जाने की जुगत में जुट गये और फिर आखिर में गोपनीय तरीके से उनका राष्ट्रीय लोकदल में जाना तय हो गया। यह बात लीक हो गई और किसी तरह बसपा हाईकमान तक भी पहुंच गई। बसपा ने उनके पार्टी छोडने की घोषणा से पहले ही अपनी तरफ से बयान जारी कर चौ. योगराज सिंह को पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा कर दी। अब कल (आज) 17 दिसम्बर को चौ. योगराज सिंह राष्ट्रीय लोकदल में चले जायेंगे। सूत्रों से पता चला है कि कल (आज) लखनउ में राष्ट्रीय लोकदल के कार्यालय पर उनके रालोद में शामिल होने की घोषणा पूर्व सांसद जयन्त चौधरी व प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान की उपस्थिति में की जायेगी

न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह बने यूपी के नये लोकायुक्त........

नई दिल्ली/लखनऊ। करीब दो साल की जद्दोजहद के बाद उत्तर प्रदेश में नये लोकायुक्त की नियुक्ति आज आखिरकार उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप से हो सकी। न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) वीरेन्द्र सिंह सूबे के नये लोकायुक्त बनाये गये हैं।
एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायलय ने कडा रूख अपनाते हुए राज्य सरकार को आज तक लोकायुक्त की नियुक्ति कर देने अथवा इसके लिए पांच नाम सुझाने का अल्टीमेटम दे डाला था। उच्चतम न्यायालय के तेवर देखकर आनन फानन में कल शाम से चले बैठकों के दौर में किसी एक नाम को लेकर चयन समिति के सदस्यों के बीच गतिरोध कायम रहने पर आज सुबह यहां हुई बैठक के बाद पांच नामों का चयन कर उच्चतम न्यायालय को भेज दिया था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अगुआई वाली तीन सदस्यीय चयन समिति ने लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह, न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा, न्यायमूर्ति कलीमुल्ला, न्यायमूर्ति संजय मिश्रा और न्यायमूर्ति वी.एन. सहाय (सभी अवकाश प्राप्त) का नाम भेजा था। सर्वसम्मति बनाने के लिए चयन समिति की बैठक शाम पांच बजे फिर प्रस्तावित थी, लेकिन राज्य सरकार को किसी फैसले पर नहीं पहुंचता देख उच्चतम न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह की सूबे के नये लोकायुक्त के पद पर तैनाती का एलान कर दिया। न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह 2००9 से 2०11 इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहे। मूलरूप से मेरठ के रहने वाले न्यायमूर्ति श्री सिंह 1977 बैच के प्रांतीय सिविल सेवा (न्याय) के अधिकारी थे। विधि विशेषज्ञों का दावा है कि यह पहला मौका है कि किसी लोकायुक्त की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय ने की है।
इससे पहले नये लोकायुक्त की तलाश के लिए कल रात पांच घण्टे बैठक चली थी। इसमें नौ नामों को छांटा गया था। सुबह एक घण्टे चली बैठक में इन नौ में से चार नाम अलग कर दिये गये। मुख्यमंत्री श्री यादव के अलावा प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य की सदस्यता वाली तीन सदस्यीय चयन समिति की बैठक आज पूर्वान्ह करीब साढे नौ बजे शुरू हुई थी। करीब एक घंटे तक हुए गहन मंथन में पांच नाम छांटे गये। सभी इलाहाबाद उच्च न्यायालय से अवकाश प्राप्त न्यायाधीश थे। लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर लम्बे समय से चल रही ऊहापोह के बीच उच्चतम न्यायालय ने गत 14 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश सरकार को आज तक लोकायुक्त नियुक्त करने या इस पद पर नियुक्ति के लिए पांच नामों का एक पैनल उपलब्ध कराने की हिदायत दी थी। आमतौर पर चयन समिति लोकायुक्त का चयन कर राज्यपाल से अनुमोदन लेती है, लेकिन लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने सूबे में नये लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए हस्तक्षेप किया। इस बीच उच्चतम नयायालय के फैसले के बारे में जानकारी दिये जाने पर राज्यपाल राम नाईक ने स्वीकार किया कि लोकायुक्त की नियुक्ति में सच में देरी हुई है। राजभवन सूत्रों के अनुसार अभी कोई लिखित जानकारी नहीं मिली है। राज्य में मार्च 2०14 में मौजूदा लोकायुक्त एन के मेहरोत्रा का कार्यकाल खत्म होने के बाद से सूबे के नये लोकायुक्त की नियुक्ति अटकी हुई थी। राज्य सरकार ने लोकायुक्त के लिए इस साल की शुरूआत में अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति रवीन्द्र सिंह यादव (अप्र) का नाम आगे बढाया लेकिन राजभवन उनके नाम पर राजी नहीं हुआ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड को भी न्यायमूर्ति (अप्र) रवीन्द्र सिंह यादव के नाम पर ऐतराज था। राज्यपाल राम नाईक ने एक दो बार नहीं, बल्कि चार बार न्यायमूर्ति रवीन्द्र सिंह यादव को लोकायुक्त बनाये जाने के प्रस्ताव वाली फाइल लौटाई। इसी बीच गत 27 अगस्त को विधानमंडल में सरकार ने लोकायुक्त चयन अधिनियम में बदलाव का विधेयक पारित करा लिया। संशोधन के जरिये चयन कमेटी से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ही बाहर कर उनके स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष को चयन समिति में शामिल किया। इस विधेयक को अभी तक राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है। राज्यपाल राम नाईक ने तीसरी बार फाइल वापस करते समय कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आपसी विचार विमर्श और सहमति के साथ नए नाम के साथ लोकायुक्त की नियुक्ति की पत्रावली भेंजें। राजभवन का कहना था कि लोकायुक्त और उप लोकायुक्त अधिनियम 1975 की धारा तीन के नियमों के मुताबिक ही लोकायुक्त नियुक्त होना चाहिए।
भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की कोशिश करेंगे: सिंह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त लोकायुक्त न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह ने कहा है कि वह लोकायुक्त संस्था को मजबूत करते हुए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की कोशिश करेंगे। उच्चतम न्यायालय से आज ही लोकायुक्त नियुक्त हुए न्यायमूर्ति श्री सिंह ने पत्रकारों से कहा कि वह लोकायुक्त संस्था को और मजबूत करेंगे। देखेंगे कि भ्रष्टाचार पर कैसे प्रभावी अंकुश लगे। उन्होंने कहा कि संविधान के दायरे में रहते हुए वह भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोडेगें। उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश होगी कि मध्यप्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों की तरह लोकायुक्त को और संसाधन मिलें

Monday, 14 December 2015

परिजनों से टेलीफोन पर बात कर सकेंगे बंदी.........

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश की कारागारों में बंदियों को उनके परिजनों से टेलीफोन पर बात करने की सुविधा प्रदान करने के लिए 37० लाख रुपये की योजना स्वीकृत की है।कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया ने आज यहां बताया कि जेलों में बंदियों की समस्त सूचनाओं तथा विभाग के सभी महत्वपूर्ण क्रियाकलापों एवं मुलाकात व्यवस्था को एनआईसी द्वारा संरचित ई-प्रिजन साफ्टवेयर के माध्यम से कम्प्यूटरीकृत किये जाने के लिए 429.78 लाख रुपये कार्ययोजना स्वीकृत की गयी है। उन्होंने बताया कि नवनिर्मित जिला कारागार, बागपत को शीघ्र क्रियाशील करने के आदेश जारी किये गए हैं। उन्होंने बताया कि बंदियों के परिवार में मृत्यु एवं विवाह की स्थिति में उत्तर प्रदेश (बंदियों के दण्डावेश का निलम्बन) नियमावली में संशोधन करते हुए जिला मजिस्ट्रेट को 72 घंटे का पैरोल स्वीकृत करने के लिए अधिकृत किया गया है।

 श्री रामूवालिया ने बताया कि वीपीआर एण्ड डी गृह मंत्रालय, केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गए मॉडल प्रिजन मैनुअल को प्रदेश में लागू करने की केन्द्र सरकार के अपेक्षा के क्रम में मॉडल प्रिजन मैनुअल के प्रावधानों को शामिल करते हुए उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल के संशोधित ड्राफ्ट के विधीक्षण की कार्यवाही की जाएगी। गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा चार वर्षों में नवनिर्मित तीन जिला कारागारों क्रमश: जिला कारागार, बलरामपुर को चार मई 2०12, जिला कारागार कौशाम्बी तथा जिला कारागार गौतमबुद्धनगर को 16 अप्रैल, 2०14 को क्रियाशील कराया गया। इन तीन कारागारों के क्रियाशील होने से कुल 459० बंदी क्षमता सृजित हुई है।

सपा ने की जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रत्याशियों की सूची जारी, मुजफ्फरनगर घोषित नहीं.

खनऊ। प्रदेश में सत्तारूढ समाजवादी पार्टी ने प्रतिष्ठित जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिये आज पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। इस सूची में लखनऊ व मुजफ्फरनगर के लिये अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है, जबकि शामली के लिये एमएलसी व पूर्व मंत्री चौ. वीरेन्द्र सिंह की पुत्रवधू शैफाली चौहान को प्रत्याशी बनाया गया है। इसके अलावा बिजनौर से श्रीमती नीलम पारस, अमरोहा से श्रीमती शकीना बेगम, मेरठ से श्रीमती सीमा प्रधान पत्नी अतुल प्रधान, गाजियाबाद से नूर हसन मलिक व हापुड से श्रीमती अनिता देवी को पार्टी उम्मीदवार घोषित किया गया है।