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Wednesday 16 December 2015

न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह बने यूपी के नये लोकायुक्त........

नई दिल्ली/लखनऊ। करीब दो साल की जद्दोजहद के बाद उत्तर प्रदेश में नये लोकायुक्त की नियुक्ति आज आखिरकार उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप से हो सकी। न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) वीरेन्द्र सिंह सूबे के नये लोकायुक्त बनाये गये हैं।
एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायलय ने कडा रूख अपनाते हुए राज्य सरकार को आज तक लोकायुक्त की नियुक्ति कर देने अथवा इसके लिए पांच नाम सुझाने का अल्टीमेटम दे डाला था। उच्चतम न्यायालय के तेवर देखकर आनन फानन में कल शाम से चले बैठकों के दौर में किसी एक नाम को लेकर चयन समिति के सदस्यों के बीच गतिरोध कायम रहने पर आज सुबह यहां हुई बैठक के बाद पांच नामों का चयन कर उच्चतम न्यायालय को भेज दिया था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अगुआई वाली तीन सदस्यीय चयन समिति ने लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह, न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा, न्यायमूर्ति कलीमुल्ला, न्यायमूर्ति संजय मिश्रा और न्यायमूर्ति वी.एन. सहाय (सभी अवकाश प्राप्त) का नाम भेजा था। सर्वसम्मति बनाने के लिए चयन समिति की बैठक शाम पांच बजे फिर प्रस्तावित थी, लेकिन राज्य सरकार को किसी फैसले पर नहीं पहुंचता देख उच्चतम न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह की सूबे के नये लोकायुक्त के पद पर तैनाती का एलान कर दिया। न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह 2००9 से 2०11 इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश रहे। मूलरूप से मेरठ के रहने वाले न्यायमूर्ति श्री सिंह 1977 बैच के प्रांतीय सिविल सेवा (न्याय) के अधिकारी थे। विधि विशेषज्ञों का दावा है कि यह पहला मौका है कि किसी लोकायुक्त की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय ने की है।
इससे पहले नये लोकायुक्त की तलाश के लिए कल रात पांच घण्टे बैठक चली थी। इसमें नौ नामों को छांटा गया था। सुबह एक घण्टे चली बैठक में इन नौ में से चार नाम अलग कर दिये गये। मुख्यमंत्री श्री यादव के अलावा प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य की सदस्यता वाली तीन सदस्यीय चयन समिति की बैठक आज पूर्वान्ह करीब साढे नौ बजे शुरू हुई थी। करीब एक घंटे तक हुए गहन मंथन में पांच नाम छांटे गये। सभी इलाहाबाद उच्च न्यायालय से अवकाश प्राप्त न्यायाधीश थे। लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर लम्बे समय से चल रही ऊहापोह के बीच उच्चतम न्यायालय ने गत 14 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश सरकार को आज तक लोकायुक्त नियुक्त करने या इस पद पर नियुक्ति के लिए पांच नामों का एक पैनल उपलब्ध कराने की हिदायत दी थी। आमतौर पर चयन समिति लोकायुक्त का चयन कर राज्यपाल से अनुमोदन लेती है, लेकिन लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने सूबे में नये लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए हस्तक्षेप किया। इस बीच उच्चतम नयायालय के फैसले के बारे में जानकारी दिये जाने पर राज्यपाल राम नाईक ने स्वीकार किया कि लोकायुक्त की नियुक्ति में सच में देरी हुई है। राजभवन सूत्रों के अनुसार अभी कोई लिखित जानकारी नहीं मिली है। राज्य में मार्च 2०14 में मौजूदा लोकायुक्त एन के मेहरोत्रा का कार्यकाल खत्म होने के बाद से सूबे के नये लोकायुक्त की नियुक्ति अटकी हुई थी। राज्य सरकार ने लोकायुक्त के लिए इस साल की शुरूआत में अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति रवीन्द्र सिंह यादव (अप्र) का नाम आगे बढाया लेकिन राजभवन उनके नाम पर राजी नहीं हुआ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड को भी न्यायमूर्ति (अप्र) रवीन्द्र सिंह यादव के नाम पर ऐतराज था। राज्यपाल राम नाईक ने एक दो बार नहीं, बल्कि चार बार न्यायमूर्ति रवीन्द्र सिंह यादव को लोकायुक्त बनाये जाने के प्रस्ताव वाली फाइल लौटाई। इसी बीच गत 27 अगस्त को विधानमंडल में सरकार ने लोकायुक्त चयन अधिनियम में बदलाव का विधेयक पारित करा लिया। संशोधन के जरिये चयन कमेटी से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ही बाहर कर उनके स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष को चयन समिति में शामिल किया। इस विधेयक को अभी तक राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है। राज्यपाल राम नाईक ने तीसरी बार फाइल वापस करते समय कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आपसी विचार विमर्श और सहमति के साथ नए नाम के साथ लोकायुक्त की नियुक्ति की पत्रावली भेंजें। राजभवन का कहना था कि लोकायुक्त और उप लोकायुक्त अधिनियम 1975 की धारा तीन के नियमों के मुताबिक ही लोकायुक्त नियुक्त होना चाहिए।
भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की कोशिश करेंगे: सिंह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त लोकायुक्त न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह ने कहा है कि वह लोकायुक्त संस्था को मजबूत करते हुए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की कोशिश करेंगे। उच्चतम न्यायालय से आज ही लोकायुक्त नियुक्त हुए न्यायमूर्ति श्री सिंह ने पत्रकारों से कहा कि वह लोकायुक्त संस्था को और मजबूत करेंगे। देखेंगे कि भ्रष्टाचार पर कैसे प्रभावी अंकुश लगे। उन्होंने कहा कि संविधान के दायरे में रहते हुए वह भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोडेगें। उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश होगी कि मध्यप्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों की तरह लोकायुक्त को और संसाधन मिलें

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