लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति तो कल उच्चतम न्यायालय ने कर दी, लेकिन इसे लेकर राजभवन तथा राज्य सरकार के बीच विवाद थमता दिखायी नहीं दे रहा है।
राज्यपाल राम नाईक ने कानपुर में एक कार्यक्रम के दौरान लोकायुक्त की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय द्वारा किये जाने पर आज फिर राज्य की समाजवादी पार्टी सरकार पर निशाना साधा तथा कहा कि यह राज्य सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल खडा करता है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गोरखपुर में लोगों को संबोधित करते हुये कहा कि उन्होंने लोकायुक्त चयन के लिये पांच नामों की सूची बहुत पहले ही राजभवन भेज दी थी। एक कार्यक्रम में शिरकत करने आये राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री, विधानसभा में विपक्ष के नेता एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सामूहिक जिम्मेदारी होती है कि लोकायुक्त तय करें। उच्चतम न्यायालय द्वारा लोकायुक्त नियुक्त करना सपा सरकार पर बड़ा सवाल है। राज्यपाल ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि लोकायुक्त तय करने में लगातार देरी के पीछे क्या कारण हो सकता है, यह सभी को पता है और वह इस मामले में और कुछ कहना नहीं चाहते। लोकायुक्त मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा चिठ्ठी लिखे जाने और राज्यपाल के हस्तक्षेप मामले में मीडिया के सवाल पर श्री नाईक ने कहा कि मीडिया में आई खबरों में पढ़ा है। उन्होंने कहा कि मैं वापस जाकर लखनऊ में देखूंगा कि इस प्रकार का कोई पत्र आया है या नहीं। मुख्यमंत्री ने आज कहा कि लोकायुक्त की नियुक्ति में देरी सरकार की ओर से नहीं हुई, बल्कि पांच नामों की सूची राजभवन को काफी पहले ही भेज दी गयी थी। राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश का सम्मान करती है लेकिन लोकायुक्त की नियुक्ति में देरी के लिए प्रदेश सरकार जिम्मेदार नहीं है बल्कि देरी कहीं और से हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पांच नामों की सूची पहले ही राजभवन भेज दी थी। देरी कहां से हुई वह सबको पता है।
राज्यपाल राम नाईक ने कानपुर में एक कार्यक्रम के दौरान लोकायुक्त की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय द्वारा किये जाने पर आज फिर राज्य की समाजवादी पार्टी सरकार पर निशाना साधा तथा कहा कि यह राज्य सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल खडा करता है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गोरखपुर में लोगों को संबोधित करते हुये कहा कि उन्होंने लोकायुक्त चयन के लिये पांच नामों की सूची बहुत पहले ही राजभवन भेज दी थी। एक कार्यक्रम में शिरकत करने आये राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री, विधानसभा में विपक्ष के नेता एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सामूहिक जिम्मेदारी होती है कि लोकायुक्त तय करें। उच्चतम न्यायालय द्वारा लोकायुक्त नियुक्त करना सपा सरकार पर बड़ा सवाल है। राज्यपाल ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि लोकायुक्त तय करने में लगातार देरी के पीछे क्या कारण हो सकता है, यह सभी को पता है और वह इस मामले में और कुछ कहना नहीं चाहते। लोकायुक्त मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा चिठ्ठी लिखे जाने और राज्यपाल के हस्तक्षेप मामले में मीडिया के सवाल पर श्री नाईक ने कहा कि मीडिया में आई खबरों में पढ़ा है। उन्होंने कहा कि मैं वापस जाकर लखनऊ में देखूंगा कि इस प्रकार का कोई पत्र आया है या नहीं। मुख्यमंत्री ने आज कहा कि लोकायुक्त की नियुक्ति में देरी सरकार की ओर से नहीं हुई, बल्कि पांच नामों की सूची राजभवन को काफी पहले ही भेज दी गयी थी। राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश का सम्मान करती है लेकिन लोकायुक्त की नियुक्ति में देरी के लिए प्रदेश सरकार जिम्मेदार नहीं है बल्कि देरी कहीं और से हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पांच नामों की सूची पहले ही राजभवन भेज दी थी। देरी कहां से हुई वह सबको पता है।
No comments:
Post a Comment