लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश की कारागारों में बंदियों को उनके परिजनों से टेलीफोन पर बात करने की सुविधा प्रदान करने के लिए 37० लाख रुपये की योजना स्वीकृत की है।कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया ने आज यहां बताया कि जेलों में बंदियों की समस्त सूचनाओं तथा विभाग के सभी महत्वपूर्ण क्रियाकलापों एवं मुलाकात व्यवस्था को एनआईसी द्वारा संरचित ई-प्रिजन साफ्टवेयर के माध्यम से कम्प्यूटरीकृत किये जाने के लिए 429.78 लाख रुपये कार्ययोजना स्वीकृत की गयी है। उन्होंने बताया कि नवनिर्मित जिला कारागार, बागपत को शीघ्र क्रियाशील करने के आदेश जारी किये गए हैं। उन्होंने बताया कि बंदियों के परिवार में मृत्यु एवं विवाह की स्थिति में उत्तर प्रदेश (बंदियों के दण्डावेश का निलम्बन) नियमावली में संशोधन करते हुए जिला मजिस्ट्रेट को 72 घंटे का पैरोल स्वीकृत करने के लिए अधिकृत किया गया है।
श्री रामूवालिया ने बताया कि वीपीआर एण्ड डी गृह मंत्रालय, केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गए मॉडल प्रिजन मैनुअल को प्रदेश में लागू करने की केन्द्र सरकार के अपेक्षा के क्रम में मॉडल प्रिजन मैनुअल के प्रावधानों को शामिल करते हुए उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल के संशोधित ड्राफ्ट के विधीक्षण की कार्यवाही की जाएगी। गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा चार वर्षों में नवनिर्मित तीन जिला कारागारों क्रमश: जिला कारागार, बलरामपुर को चार मई 2०12, जिला कारागार कौशाम्बी तथा जिला कारागार गौतमबुद्धनगर को 16 अप्रैल, 2०14 को क्रियाशील कराया गया। इन तीन कारागारों के क्रियाशील होने से कुल 459० बंदी क्षमता सृजित हुई है।
श्री रामूवालिया ने बताया कि वीपीआर एण्ड डी गृह मंत्रालय, केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गए मॉडल प्रिजन मैनुअल को प्रदेश में लागू करने की केन्द्र सरकार के अपेक्षा के क्रम में मॉडल प्रिजन मैनुअल के प्रावधानों को शामिल करते हुए उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल के संशोधित ड्राफ्ट के विधीक्षण की कार्यवाही की जाएगी। गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा चार वर्षों में नवनिर्मित तीन जिला कारागारों क्रमश: जिला कारागार, बलरामपुर को चार मई 2०12, जिला कारागार कौशाम्बी तथा जिला कारागार गौतमबुद्धनगर को 16 अप्रैल, 2०14 को क्रियाशील कराया गया। इन तीन कारागारों के क्रियाशील होने से कुल 459० बंदी क्षमता सृजित हुई है।
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