लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) द्वारा मदरसों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की राष्ट्रव्यापी मुहिम का विरोध करते हुए दारूल उलूम देवबंद ने सवाल किया कि संघ नागपुर स्थित अपने मुख्यालय में तिरंगा कब फहरायेगा।
दारूल उलूम ने कहा कि संघ ने आजादी की लडाई में कोई योगदान नहीं दिया और न ही कभी तिरंगे का सम्मान किया। वे सिर्फ अपने ध्वज पर विश्वास करते हैं और उसके सामने ही नतमस्तक होते हैं। एमआरएम ने आठ जनवरी को मुहिम के तहत मदरसों को पत्र भेजे थे और सोशल मीडिया के जरिये मदरसों में राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय दिवस जैसे स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती और गणतंत्र दिवस के अवसर पर तिरंगा फहराने की अपील की थी। दारूल उलूम द्वारा उठाये गये सवाल पर एमआएम ने कहा कि सभी राष्ट्रीय पर्वों पर सरस्वती शिक्षा मंदिर स्कूलों में तिरंगा फहराया जाता है और संघ की देश भर में फैली शाखाओं में राष्ट्रीय त्यौहारों को धूमधाम से मनाया जाता है। एमआरएम का कहना है कि किसी भी स्थान को संघ कार्यालय के तौर पर चिन्हित नहीं किया गया है।
मंच के प्रांतीय संयोजक महिधरध्वज सिंह ने आज कहा कि इसे संघ की मुहिम की बजाय सामाजिक आंदोलन के तौर पर लिया जाना चाहिये। कोलकाता के एक मदरसे में राष्ट्रीय गान की वकालत करने वाले एक अध्यापक के साथ मारपीट की गयी। ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिये मदरसों में राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय ध्वज फहराने को आंदोलन का रूप देने की कोशिश की जा रही है। गौरतलब है कि कोलकाता में तालपुकूर आरा उच्च मदरसा के हेडमास्टर काजी मासूम अख्तर के साथ मौलानाओं और उनके गुर्गों ने मारपीट की थी। हेडमास्टर का अपराध यह था कि वह मदरसा में अध्ययनरत विद्यार्थियों को गणतंत्र दिवस समारोह के लिये राष्ट्रगान गाने का प्रशिक्षण दे रहे थे। श्री सिंह ने कहा कि हम मुस्लिम समुदाय को बताना चाहते हैं कि इस्लाम में देश भक्ति को अहम दर्जा हासिल है। मौहम्मद साहब के बताये रास्ते के अनुसार मुस्लिमों को उस जमीन और वहां बने कानून के प्रति वफादार रहना चाहिये, इसलिये मंच की अपील है कि वे अपने देश के संविधान और राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करें। उन्होंने कहा कि इस मुहिम में कोई राजनीति नहीं है और उनकी मंशा मुहिम के जरिये सिर्फ राष्ट्रविरोधी ताकतों को जवाब देना है। मंच ने कभी यह सलाह नहीं दी कि मस्जिदों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाये हालांकि राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर शिक्षण संस्थाओं में तिरंगा जरूर फहराया जाना चाहिये।
दारूल उलूम ने कहा कि संघ ने आजादी की लडाई में कोई योगदान नहीं दिया और न ही कभी तिरंगे का सम्मान किया। वे सिर्फ अपने ध्वज पर विश्वास करते हैं और उसके सामने ही नतमस्तक होते हैं। एमआरएम ने आठ जनवरी को मुहिम के तहत मदरसों को पत्र भेजे थे और सोशल मीडिया के जरिये मदरसों में राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय दिवस जैसे स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती और गणतंत्र दिवस के अवसर पर तिरंगा फहराने की अपील की थी। दारूल उलूम द्वारा उठाये गये सवाल पर एमआएम ने कहा कि सभी राष्ट्रीय पर्वों पर सरस्वती शिक्षा मंदिर स्कूलों में तिरंगा फहराया जाता है और संघ की देश भर में फैली शाखाओं में राष्ट्रीय त्यौहारों को धूमधाम से मनाया जाता है। एमआरएम का कहना है कि किसी भी स्थान को संघ कार्यालय के तौर पर चिन्हित नहीं किया गया है।
मंच के प्रांतीय संयोजक महिधरध्वज सिंह ने आज कहा कि इसे संघ की मुहिम की बजाय सामाजिक आंदोलन के तौर पर लिया जाना चाहिये। कोलकाता के एक मदरसे में राष्ट्रीय गान की वकालत करने वाले एक अध्यापक के साथ मारपीट की गयी। ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिये मदरसों में राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय ध्वज फहराने को आंदोलन का रूप देने की कोशिश की जा रही है। गौरतलब है कि कोलकाता में तालपुकूर आरा उच्च मदरसा के हेडमास्टर काजी मासूम अख्तर के साथ मौलानाओं और उनके गुर्गों ने मारपीट की थी। हेडमास्टर का अपराध यह था कि वह मदरसा में अध्ययनरत विद्यार्थियों को गणतंत्र दिवस समारोह के लिये राष्ट्रगान गाने का प्रशिक्षण दे रहे थे। श्री सिंह ने कहा कि हम मुस्लिम समुदाय को बताना चाहते हैं कि इस्लाम में देश भक्ति को अहम दर्जा हासिल है। मौहम्मद साहब के बताये रास्ते के अनुसार मुस्लिमों को उस जमीन और वहां बने कानून के प्रति वफादार रहना चाहिये, इसलिये मंच की अपील है कि वे अपने देश के संविधान और राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करें। उन्होंने कहा कि इस मुहिम में कोई राजनीति नहीं है और उनकी मंशा मुहिम के जरिये सिर्फ राष्ट्रविरोधी ताकतों को जवाब देना है। मंच ने कभी यह सलाह नहीं दी कि मस्जिदों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाये हालांकि राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर शिक्षण संस्थाओं में तिरंगा जरूर फहराया जाना चाहिये।
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